हिमाकत

उन्हें देखकर अनायास ही मुस्कुरा दिया
मेरी इस हिमाकत को उन्होंने गुनाह बना दिया
सजा वो दे रहे इस कदर, नज़रें मिलाते नहीं
और बदल ली अपनी डगर।

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